Friday, January 19, 2018

सबसे सच्चा रिश्ता “दोस्ती” - mahant naik

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सबसे सच्चा रिश्ता “दोस्ती”

“दोस्त वह होता है जो आपके भुतकाल को समझता है। आपके भविष्य पर विश्वास रखता है और आप जैसे हो वैसे ही आपको अपनाता है।”


एक युद्ध में, एक सैनिक अपने जख्मी दोस्त को अपने क्षेत्र में लाने की कोशिश कर रहा था।
उसके कप्तान ने कहा, “ वो अभी किसी काम का नहीं! तुम्हारे दोस्त को मरना होगा।”
लेकिन सैनिक फिर भी जाता है और अपने दोस्त को वापिस लेके आता है।
दोस्त का मृत शरीर देखकर, कप्तान कहता है, “मैंने तुमसे कहा था की अब यह किसी काम का नहीं, वह मर चूका है।”
तभी वह सैनिक नम आखो से जवाब देता है, “नहीं सर, यह मेरे लिए बहोत कीमती है……
जब मैंने उसे ढूंडा तब मेरे दोस्त ने मुझे देखा, मुस्कुराया और उसने अपने अंतिम शब्द कहे :
“मै जानता था की तुम जरुर आओगे”………….
ऐसी कीमती, सच्ची और मजबूत दोस्ती आज हमें बहोत कम देखने मिलती है….जीवन में सच्चे दोस्त, जब आपको उसकी जरुरत होती है तब हमेशा आपके साथ रहते है। दोस्ती की कई महान कहानिया हमें इतिहास में दिखाई देती है। कई लोगो ने दोस्ती में अपनी जान तक गवई है। कहा जाता है माता-पिता के बाद अगर कोई किसी को पास से जान सकता है तो वो “दोस्त” ही है।
जीवन में कई बार हम ऐसी मुश्किलों में फसे होते है, जिस समय हम किसी से सहायता नहीं ले सकते, उस समय दोस्त हमारी सहायता करता है। दोस्त वाही होता है जो हमारे दिल की बातो को जान लेता है। निश्चित ही अगर हमारा दोस्त हमारे साथ हो तो हम बड़े से बड़ी चुनौती को भी आसानी से पार कर सकते है।
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Tuesday, November 7, 2017

इतिहास की सबसे सुंदर स्त्री जिसे वेश्या बना दिया गया ||



आम्रपाली इतिहास की सबसे सुंदर स्त्री थी आम्रपाली का जन्म वैशाली नगर के एक आम के पेड़ के निचे हुआ था इसलिए इसका नाम आम्रपाली रखा गया था।यह बचपन से बहुत खूबसूरत थी जैसे जैसे आम्रपाली बड़ी होती जा रही थी वेसे ही इसकी सुंदरता बढ़ती जा रही थी जब यह जवान हुई तो वैशाली नगर का हर व्यक्ति इसको अपनी पत्नी बनाना चाहता था।
जब आम्रपाली के माता पिता ने आम्रपाली की शादी करने की सोची लेकिन उनको डर था की अगर आम्रपाली को एक को सौंपा जाये तो लोग उसकी सुंदरता के कारण उसका खून कर देंगे तब वह राजा के पास गए और इस समस्या का हल करने की सोची तब राजा ने वैशाली के गणतंत्र को खतरा देखते हुए आम्रपाली को समस्त नगर की वधु बना दिया गया था और उसकी सुंदरता ही उसकी सजा बन गयी थी उसे एक महल दे दिया गया जहाँ वह लोगो का मनोरंजन किया करती थी और अंत में एक बौद्ध भिक्षु बन गयी थी।
एक बार भगवान बुद्ध वैशाली में आये हुए थे तब उनके साथ उनके कई शिष्य भी साथ थे सभी भिक्षु वैशाली नगर भिक्षा मांगने जाते थे तभी एक नवयुवक बौद्ध भिक्षु आम्रपाली के महल में भिक्षा माँगने के लिए चला गया आम्रपाली बौद्ध भिक्षु की सुंदरता पर मोहित हो गयी थी।
बौद्ध भिक्षु चार महीने बाद आम्रपाली के साथ आया और आम्रपाली भगवान बुद्ध के चरणों में गिर गयी थी ओर आम्रपाली ने कहा की मैने इस भिक्षु को हर तरीके से अपने वश में करने की कोशिश की किन्तु यहएक पल भी इस मोह माया में नही पड़ा और यह कहते हुए आम्रपाली ने भगवान बुद्ध से अपनी भिक्षुणी बनाने का आग्रह किया।

Friday, September 1, 2017

विकलांगता से IAS Topper तक की कहानी – Ira Singhal Success Story In Hindi

 IAS Topper Success Story in Hindi

IAS – UPSC Civil Services Exams! इसकी प्रतिष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि हर वर्ष लाखों विद्यार्थी IAS Officer बनने के लिए यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा देते है, लेकिन मुश्किल से .025% विद्यार्थी ही IAS Officer बन पाते है|
Civil Services Exams की Final Success Rate सामान्यत: .30% के करीब होती है जिसमें से भी सबसे प्रतिष्ठित Indian Administrative Services की Success Rate सामान्यत: .025% से भी कम होती है|
लेकिन जिनके हौसले बुलंद होते है, वे मुश्किलों से डरते नहीं और सफलता को उनके आगे झुकना ही पड़ता|
UPSC Civil Services Exam 2014 के नतीजे कुछ खास रहे क्योंकि पहले 4 स्थानों पर लड़कियों ने बाजी मारी और उसमें से भी पहले स्थान पर एक ऐसी लड़की सफल हुई, जिसका 60% शरीर विकलांग है|
(आप यह कहानी महंत नायक ब्लागस्पाट पे पढ़ रहे है। )

Ira Singhal ने UPSC Civil Service Exams 2014 में सर्वोच्च स्थान हासिल कर यह साबित कर दिया है कि मेहनत और बुलंद हौसलों के आगे विकलांगता बहुत कमजोर है|
इरा सिंघल को अपनी विकलांगता के कारण कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी|
इरा सिंघल ने 2010 में ही सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली थी और वे Indian Revenue Service – IRS पद पर नियुक्ति की हकदार थी लेकिन शारीरिक रूप से विकलांग होने के कारण डिपार्टमेंट ने उनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी| लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उन्होंने Central Administrative Tribunal (CAT)  में मामला दर्ज कराया |
CAT का फैसला IRA Singhal के पक्ष में आया और उन्हें Assistant Commissioner of Customs and Central Excise Service (IRS) पर नियुक्त किया गया|
कई मुसीबतों के बावजूद इरा सिंघल ने प्रयास जारी रख और फिर से सिविल सेवा की परीक्षा दी| उन्होंने 2014 Civil Service Exam में Top कर, फिर से यह साबित कर दिया कि भले ही वे शारीरिक रूप से थोड़ी कमजोर है लेकिन मानसिक रूप से वे बेहद शक्तिशाली है|
इरा सिंघल महिलाओं, बच्चों और शारीरिक रूप से असक्षम लोगों के कल्याण के लिए कार्य करना चाहती है|
आज हमें इरा सिंघल जैसे लोगों पर गर्व होता है, क्योंकि ऐसे लोग हर बार यह साबित कर देते है कि – नामुनकिन कुछ भी नहीं – Nothing is Impossible| Ira Singhal ने यह साबित किया है कि उनके बुलंद हौसलों के आगे मुसीबतें और विकलांगता बहुत कमजोर है|

 



Thursday, May 4, 2017

प्रेम और प्यार में फर्क -Difference between Prem and Pyar

 



वैसे ‘प्रेम’ और ‘प्यार’ दोनों शब्दों में कोई बुनियादी फर्क नहीं है और न ही दोनों में परस्पर कोई विरोधभास है लेकिन फिर भी अगर आप real life में देखें तो दोनों शब्दों के एक बड़ा व्यवहारिक फर्क आप देख सकते है |  आप देखें व्याकरण ने या ना ही भाषा ने दोनों शब्दों में कोई दुविधा पैदा की है और न ही दोनों में से किसी एक के साथ भेदभाव किया है |वो हम है जिन्होंने एक बड़ा योगदान दिया है ‘प्यार’ जैसे शब्द के साथ भ्रम को विकसित करने में |

असल में हमने ‘प्रेम’ को हमेशा एक स्वच्छ और निष्काम भाव के साथ सोचा है और हमारे दिमागी ढांचे में हमने इसी तरह इसे फिट किया है जिस तरीके से हम अगर किसी अध्यात्मिक शिविर या सत्संग में उपस्थिति होते है और किसी के प्रवचन को सुनकर खुद को परमात्मा के साथ जोड़ते है ठीक वैसा ही भाव हम ‘प्रेम’ शब्द के विषय में रखते है फिर चाहे हम इसे कंही भी इस्तेमाल करें | हमारे माता पिता के साथ हमारा ‘प्रेम’ भाई बहन के साथ हमारा ‘प्रेम’  या फिर कुछ और आत्मीयता के ही ऐसे उदाहरण | हम बड़े मैत्रीपूर्ण ढंग से प्रेम शब्द के इस्तेमाल के साथ खुद को सहज महसूस करते है |

जबकि अगर हम ‘प्यार’ शब्द की बात करते है तो इसके साथ ऐसा सौतेला व्यवहार करते है जैसे कि बस यह नयी पीढ़ी के पतन को ही परिभाषित करता हो जबकि ऐसा नहीं है हम अपने खून के रिश्तों या यूँ कहे by default जो रिश्ते बने है उनके के लिए इस्तेमाल नहीं करते लेकिन शायद जब हम अपने किसी साथी के लिए जिसे हम पसंद करते है उसके लिए ‘प्यार’ शब्द का इस्तेमाल करते है तो लोगो के लिए इसके मायने बदल जाते है वो कुछ इस तरह पेश आते है जैसे किसी अच्छे से धार्मिक नाम वाले बन्दे ने कुछ बहुत सारे बुरे काम करके अपनी छवि खराब कर ली हो और हम समाज में बस महज उसे एक बुरे चरित्र का इन्सान मानते है शायद ये इसलिए भी है कि अख़बारों में हम हमेशा पढने में पाते है कि “फलानी जगह आज दो प्यार करने वालों ने आत्महत्या की ” या “प्यार में किसी ने जान दे दी ” तो ऐसे ही कुछ उदाहरण एक नजरिया विकसित करते है और जब देखने में हम पाते है तो ऐसे लगता है जैसे ‘प्यार’ शब्द हो सकता है कुछ आशंकित बुरे परिणामो को जाहिर करता हो जबकि ऐसा नहीं है |

‘प्यार’ या ‘प्रेम’ जैसे अर्थपूर्ण शब्द दूजे नहीं है | ये जैसे सहोदर है |दोनों शब्दों में कतई कोई फर्क नहीं है फर्क केवल वो है जो हमने बदलते परिवेश के साथ खुद के दिमाग में विकसित कर लिया है और ये कोई विकास का उदाहरण नहीं है | बस एक मानसिक विकृति से मिलता जुलता है |

Saturday, April 1, 2017

झूट और सच || Motivational Story ||

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किसी गाँव में मित्र शर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था । एक बार वह अपने यजमान से एक बकरा दान में पाकर अपने घर को जा रहा था रास्ता लम्बा और सुनसान था । थोड़ी दूर आगे जाने पर रास्ते में उसे तीन ठग मिले । ब्राह्मण के कंधे पर बकरे को देखकर तीनो ने उसे हथियाने की योजना बना ली ।
 
तीनो अलग अलग हो गये । सबसे पहले एक ठग ने पंडित के पास से गुजरते हुए पंडित जी से कहा पंडित जी ये कंधे पर उठाकर क्या लेके जा रहे हो । यह क्या अनर्थ कर रहे हो ब्राह्मण होकर एक कुत्ते को अपने कंधो पर उठा रखा है आपने । पंडित ने झिडकते हुए  जवाब दिया ” कुछ भी अनाप शनाप बोल रहे हो अंधे हो गये हो क्या ये बकरा है तुम्हे दिखाई नहीं देता ?” इस पर ठग ने बनावटी चेहरा बनाते हुए जवाब दिया कि  मेरा क्या जाता है मेरा काम आपको बताना था आगे आपकी मर्ज़ी । अगर आपको कुत्ता ही अपने कंधो पर लेके जाना है तो मुझे क्या ? अपना काम आप जानो । यह कहकर वह निकल गया ।
थोड़ी दूर चलने के बाद ब्राह्मण को दूसरा ठग मिला । उसने ब्राह्मण से कहा ” पंडित जी क्या आप नहीं जानते उच्च कुल के लोगो को अपने कंधो पर कुता नहीं लादना चाहिए ।”  पंडित ने उसे भी झिड़का और आगे बढ़ गया ।

इस पर थोड़ी दूर और आगे जाने के बाद पंडित से तीसरा ठग मिला और उसने पंडित से कुत्ते को पीठ पर लादे जाने का कारण पूछा तो पंडित के मन में आया कि हो न हो मेरी आंखे धोका खा रही है इतने लोग झूट नहीं बोल सकते लगता है कि ये कुत्ता ही है और उसने रास्ते में थोडा आगे जाकर बकरे को अपने कंधे से उतार दिया और घर को चला गया ।
तीनो ठगों ने बकरे को मारकर खूब दावत उडाई ।

 इसलिए कहा गया है " बार बार झूट को भी मेजोरिटी में बोलने पर वह सच जैसा जान पड़ता है और लोग धोखे का शिकार हो जाते है । "

Monday, March 6, 2017

रिश्वत || सब से बड़ी पहचान || By Mahant Naik

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बस में छूट जाने के कारण, पुलिस ने उसका सामान, अपने कब्ज़े में ले लिया था। अब, किसी परिचित आदमी की ज़मानत के बाद ही, वह सामान उसे मिल सकता था।

“मेरी पत्नी सख़्त बीमार है। मेरा जल्दी घर पहुंचना बहुत ज़रूरी है होल्दार सा’ब !” उसने विनती की।

“भई, कह तो दिया, किसी जानकार आदमी को ढूंढकर ले आओ और ले जाओ अपना सामान।”

“मैं तो परदेसी आदमी हूं। सा’ब, दो सौ मील दूर के शहर में कौन मिलेगा मुझे जानने वाला !”

“यह हम नहीं जानते। देखो, यह तो कानूनी ख़ाना-पूर्ति है। बिना ख़ाना-पूर्ति किये हम सामान तुम्हें कैसे दे सकते हैं ?”

वह समझ नहीं पा रहा था कि ख़ाना-पूर्ति कैसे हो ।

कुछ सोचकर, उसने दस रुपये का नोट निकाला और चुपके-से, कॉन्स्टेबुल की ओर बढा दिया। नोट को जेब में खिसकाकर, उसे हल्की-सी डांट पिलाते हुए, कॉन्स्टेबुल ने कहा- “तुम शरीफ़ आदमी दिखते हो, इसलिए सामान ले जाने देता हूं। पर फिर ऐसी ग़लती मत करना, समझे !”

दस के नोट ने, कॉन्स्टेबुल को ही, परिचित बना दिया था।

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Monday, February 27, 2017

ममता की कोई सिमा नहीं होती || Emotional Sort Story ||

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गुजरात की एक पालिका की शाळा में गौरी नाम की एक लड़की पढाई करती थी। 
वो स्कूल से दिया हुआ कभी होमवर्क नहीं  लाती थी। इसी कारण से उसे रोज सजा मिलती। 
और वो हर रोज फूट फूट कर रो पड़ती।
यही सिलसिला करीब ६ महीनो तक चला। 
अब एक दिन हुआ ऐसा की गौरी पहली बार उसे दिया हुआ होमवर्क करके लायी थी। 
जब ये बात उसके शिक्षक को पता चली वो वह आश्चर्य में ही रह गए ! 
 तब उसे पूछा गया की आज अचानक होमवर्क कैसे लायी हो ?
तब गौरी ने रोते रोते  जवाब दिया की " गुरूजी , आज मेरी माँ की मौत हो गयी है, अब मेरे पास होमवर्क करने का समय है। में मेरी बीमार  माँ की सेवा करती थी इस लिए आज तक होमवर्क करने का समय नहीं मिलता था। "

यह सुन कर पूरा क्लास रो पड़ा।


सबसे सच्चा रिश्ता “दोस्ती” - mahant naik

सबसे सच्चा रिश्ता “दोस्ती” “दोस्त वह होता है जो आपके भुतकाल को समझता है। आपके भविष्य पर विश्वास रखता है और आप जैसे हो ...