Monday, March 6, 2017

रिश्वत || सब से बड़ी पहचान || By Mahant Naik

 https://encrypted-tbn1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQufN1WMI6mmR5YJE3mRdWoOr95KTeKQZJbqvvrE7nn7NTxKvcQtQ


बस में छूट जाने के कारण, पुलिस ने उसका सामान, अपने कब्ज़े में ले लिया था। अब, किसी परिचित आदमी की ज़मानत के बाद ही, वह सामान उसे मिल सकता था।

“मेरी पत्नी सख़्त बीमार है। मेरा जल्दी घर पहुंचना बहुत ज़रूरी है होल्दार सा’ब !” उसने विनती की।

“भई, कह तो दिया, किसी जानकार आदमी को ढूंढकर ले आओ और ले जाओ अपना सामान।”

“मैं तो परदेसी आदमी हूं। सा’ब, दो सौ मील दूर के शहर में कौन मिलेगा मुझे जानने वाला !”

“यह हम नहीं जानते। देखो, यह तो कानूनी ख़ाना-पूर्ति है। बिना ख़ाना-पूर्ति किये हम सामान तुम्हें कैसे दे सकते हैं ?”

वह समझ नहीं पा रहा था कि ख़ाना-पूर्ति कैसे हो ।

कुछ सोचकर, उसने दस रुपये का नोट निकाला और चुपके-से, कॉन्स्टेबुल की ओर बढा दिया। नोट को जेब में खिसकाकर, उसे हल्की-सी डांट पिलाते हुए, कॉन्स्टेबुल ने कहा- “तुम शरीफ़ आदमी दिखते हो, इसलिए सामान ले जाने देता हूं। पर फिर ऐसी ग़लती मत करना, समझे !”

दस के नोट ने, कॉन्स्टेबुल को ही, परिचित बना दिया था।

अगर आपको मेरी कहानी पसंद आये तो मुझे Email कर सकते है mahantnayak@gmail.com या मेरे फेसबुक से जुड़ सकते है। Admin Facebook || Click Here ||

No comments:

Post a Comment

सबसे सच्चा रिश्ता “दोस्ती” - mahant naik

सबसे सच्चा रिश्ता “दोस्ती” “दोस्त वह होता है जो आपके भुतकाल को समझता है। आपके भविष्य पर विश्वास रखता है और आप जैसे हो ...